Sunday, April 14, 2024

जिंदगी

आजकल जिंदगी भी 
आजकल जिंदगी भी जिंदगी से ,

Tuesday, December 12, 2023

कोई अपना अजनबी सा बन गया । 
मुकद्दर नसीब का फकीर बन गया । 
बिगड़ते रिश्तों का फलसफा लिए 
दूरियां यूं तस्वीर बन गया । 

हिफाजत करते हो 

Monday, September 25, 2023

दिल

तुम किसी से बात मत किया करो ,
यू मेरे जज़्बात चार चार न किया करो 
हमसफर हैं हम तुम , जन्म जन्म के ,
यू जन्मों के रिश्ते तार तार न किया करो

आज भी पहेली हो तुम ,
किसी के साथ का भूत हो ,
मेरा वर्तमान और भविष्य,
का ज्योतिष काल 
अंधकार न किया करो ।

आजकल हाथ भारी है ,
खून में उबाल भी है ,
किसी की खोज में खुद को
शर्मशार न किया करो 💪🏻

 बहुत हैं मेरे भी,
चाहने वालों  की फेहरिस्त,
तुम उकसा के अपना,
 बवाल न किया करो ।

मैं समस्या और समाधान साथ रखता हूं ,
तुम्हारा अधूरा भविष्य साथ रखता हूं 
नव ग्रह को कहां विचरना है मुझे आता है ,
तुम यूं ही अपना काल न बदला करो।

Tuesday, July 25, 2023

शब्द बोध

भावनाओं को दस्तक देता 
सूर्य पहरा दे रहा 
डूबते सूर्य का आशीष लिए 
ठिठुरती शीत का आँचल लिए 
फिर मौन शब्दों से 
परिभाषित वाचाल खड़े 

बस अपने कदमों को 
फिर बढ़ाते 
कुछ कबीर कुछ मीरा बन 
कुछ रति के रस गीत सुनाते
मन के वियोग में नूपुरीत धुन 
ऋतू सा सृजन अपूरक 
अनंत हृदय का वाचाल भाव  

कुछ धुन विस्तारित 
जीवनतरंग 
जीवन विधुता सी धारा में 
नव ओज की अंतिम ओस 
परिभाषित करते शब्द मौन 
मौन भाव वाचाल स्वर 

मन का वेग मन से विराम 
फिर भी अधिकार
जताता है ,
तेरी हृदय तरंग वेग
प्रलाप क्रोध उत्साह प्रताप
का पल पल बीजक प्रखर हूं 

तुम कश्ती की सवारी नहीं 
हम जन्म आजन्म संगिनी हो ,
किसी मर्यादा का बोध हुआ 
कब स्वप्न बोध , विराम हुआ 
अब बचा हुआ तनमन
हर पल जीवन तुमसे है 

अब आशक्त नही वरदान तुम्ही 
तुम गीत नही तुम शब्द हो 
मेरी जीवन का करुण स्वर 
तुम हो स्वप्न तुम ही यश हो ।
तुम अल्प नही हो पूर्ण विराम 
तुम बिन न होता एक काम 










Thursday, March 23, 2023

आजकल

किस्से आजतक कहानी कल तक,
जिंदगी जिएं भी तो कैसे,
रात आज तक दिन कल तक,
साथ रहें भी तो कैसे ।

वादे आंखों से , रिश्ते दिल तक
निभाएं भी तो कैसे ,
दूरी दुनिया की , नजदीकी दिल तक
पास आएं भी तो कैसे ।

दो धागे उलझे गाठों से,
साथ माला पिरोएं भी तो कैसे
अपने अपने जीवन के सफर
मिल के साथ जीएं भी तो कैसे ।

Friday, February 24, 2023

कुछ अपने

अप्रैल 19, 2019 एक नई शुरुवात, हालांकि एक बिजनेस फैमिली होने के कारण हम इस रास्ते पर पहले भी चल चुके थे । लेकिन व्यापार भी तो नया था।  जिसमे हमारा अनुभव नया रहा । खैर ऊपर वाले सभी गुरुजनों , बड़े व्यापारियों का शुक्रिया, जिन्होंने हर कदम पर हमारा सहयोग किया। कभी ग्राहकों की डांट ने नई राह दिखलाई , तो कभी आगे बढ़ने का हौसला दिलाया ।  वैसे राह आसान नहीं थी । कुछ मां,पापा , छोटे भाई ने, तो कुछ अपनो ने हौसला दिया।  सीखने की राह कभी न छोड़ने का जज्बा नए शिखर की ओर ले आया ।
दिनों दिन इनफिनिटी मेंस & किड्स सरकंडा बिलासपुर आप सभी  शहरवासियों के जिंदगी का एक हिस्सा बन कर उभरा । जिनके लिए सभी दोस्तों एवम हौसला बढ़ाने वाले सभी ग्राहकों का तहे दिल से शुक्रिया ! आज हम अपनी सेवाओं के पांचवे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं । आशा है  , आपका सहयोग एवम सुझाव आगे भी इसी तरह मिलता रहेगा । 

आपकी अपनी संस्थान
इनफिनिटी मेंस एंड किड्स वियर
खमतराई रोड सरकंडा बिलासपुर 

Tuesday, February 14, 2023

anantsaar

अनंतसार

यह कविता पारिवारिक लोक लाज को बचाने गृह स्वामिनी के जीवन से उद्धृत वो बीजक है, जिसका संपादक यह समाज है । गृह स्वामिनी अंतः मन में अक्सर ये सार लिए बैठी है । की मैं अपने मां बाप की बेटी हूं , जिसको समाज में केवल समनार्थ सूचक शब्द बनाकर रखा है । अपने मां बाबा की बेटी जो वक्त के साथ पराई लगती है। बेटियां जब बड़ी होती है , और उनकी जब शादी हो जाती है । पति के सात वचन से संग्रहित वचनों के साथ एक और वचन का निर्वहन करती है । जो वह शादी पर नही लेती । की वह कभी दूसरी शादी नही करेगी । चाहे उसका पति उसको ना ही अपना मान रहा, ये अपना मानना मतलब सखा मानना। पति और पत्नी एक दूजे  को अपना वचन निर्वाहक के रूप में अपनाती है । जिनको वो साथ फेरे के वक्त लेती हैं । खैर आठवां वचन जो वह सात वचन के साथ लेती है । वो है आप ससुराल में ही अपने पति के साथ ही खुश रहोगी । चाहे उसका पति आपको सहृदय प्रेम से अपना न माने । और चाहे उसका पति उसको अपना न कहे। चाहे सामाजिक दिखावे के लिए शादी हुई हो । भारतीय समाज में दिखावे के लिए भी शादी की जाती है  , कभी समाज को दिखाना हो की लड़के की आखिर शादी हो गई ही गई । क्यों न लड़का मंद बुद्धि , विकृत , शारीरिक दुर्बलता, के साथ ही क्यों न जन्मा हो । वह इस समाज की दुश्मन अनंत सार , उस अष्ट वचन धारी नारी के आगामी जीवन का सार हूं जिसने न जानते हुए की मेरी शादी किस  जाहिल, मंद बुद्धि , विकृत , शारीरिक दुर्बलता, के साथ जन्मे इस विकृत व्यक्तित्व के साथ अपना आजीवन जीने के लिए  वो आठवां वचन हूं । जिसकी साक्षी अग्नि को साक्षी मान कर लेती है । की मैं कभी दूसरी शादी नही करूंगी । चाहे मुझे प्रताणित किया जाय, चाहे खुश न रखा चाहे। चाहे केवल पैसे के लिए किया जाय। कभी दिखावों के लिए जीया जाता है।  क्योंकि मेरी छोटी बहने हैं।भाई हैं । हम कभी दूजी शादी नहीं करेंगे। क्योंकि अगर मैंने की तो सब करेंगे। मैं करूंगी तो छोटे भी करेंगे । इस विष के साथ इस जीवन को अपना लेती है की जिंदगी में केवल अपने परिवार को नहीं तोड़ना है।  कभी तलाक नहीं लूंगी । चाहे पति न अपना, पारिवारिक रिश्ते लिए साथ दो चार फोटो के लिए शादी करते है । और पत्नी एक अनन्त जेल में कैद वो कैदी बन जाती है । जो केवल अपने नए घर में एक गेट कीपर बन कर रह जाती है । शायद यही जिंदगानी है  ।